जाने क्यों महँगी चप्पलें गिरतीं नहीं कभी सड़क पर वे छूटती भी नहीं हैं और किसी दूसरे के पाँव में आती भी नहीं आसानी से सस्ती चप्पलें सस्तेपन को साथ लिए यहाँ-वहाँ छूटती हैं और उनका मिलना अशुभ भी नहीं होता ।
हिंदी समय में नीलेश रघुवंशी की रचनाएँ